दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के वर्तमान सदस्य और पूर्व अध्यक्ष, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के वरिष्ठ नेता सरदार हरविंदर सिंह सरना ने देश में यूसीसी कोड लागू करने को लेकर चल रहे मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भारत आज़ादी के समय सिखों ने अपनी नियति भारत के साथ जोड़ने का निर्णय लिया. उस समय के राजनीतिक वर्ग ने सिखों से उनके अधिकारों की रक्षा के वादे किये, जो समय पर पूरे नहीं किये गये.
उन्होंने कहा कि आज जब पूरे देश में समान नागरिक कानून का मुद्दा चल रहा है तो केंद्र सरकार को सिख समुदाय को यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि वह इस कानून को लागू करके उनके किसी भी मौलिक अधिकार पर हमला नहीं करेगी. भारत सरकार को इस मुद्दे पर सिख समुदाय का पक्ष जानने और उनकी राय लेने के लिए सभी सिख राजनीतिक दलों, पंथ के विद्वानों और अन्य प्रतिष्ठित सिख हस्तियों की एक संयुक्त बैठक बुलानी चाहिए.
आज जब हर तरफ इस आने वाले बिल को लेकर बहस चल रही है, ऐसे मौके पर दिल्ली कमेटी, जो शिरोमणि कमेटी के बाद सिखों की दूसरी सबसे बड़ी कमेटी है. उनके प्रबंधन की संवादहीनता न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि शर्मनाक है।'