गुरुद्वारा रकाबगंज परिसर हुआ अपवित्र, माफी मांगकर करवाई जाए सफाई : शिअदद

स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली
- कहा, सिरसा-कालका की जोड़ी ने जब-जब धार्मिक कार्यक्रम किए हैं तब-तब पहुंचाई है ठेस 

 दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के सहयोग से भाई लक्खी शाह वंजारा की 444वीं जयंती की तैयारियों के दौरान गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर को एक बार फिर से अपवित्र किया गया ‌है। इस संबंध में एक वीडियो वायरल हुआ है जो विचलित करने वाला है। गुरुद्वारा परिसर में धूम्रपान करते हुए कुछ लोगों को साफ देखा जा सकता है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। यह कहना है शिरोमणी अकाली दल दिल्ली (शिअदद) के महास‌चिव हरविंदर सिंह सरना का। 

उन्होंने शुक्रवार को एक प्रैसवार्ता कर कहा कि वीडियो में सिगरेट पीने, पान पिक के दाग सहित प्रतिबंधित पदार्थ बिखरे दिखाए गए हैं, जो सिख धार्मिक स्थल की घोर अपवित्रता है। सरना ने कहा कि इसके लिए कोई अगर जिम्मेदार है तो वह दिल्ली कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा और मौजूदा प्रधान हरमीत सिंह कालका ही है। क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब इन दोनों की देखरेख में किसी ऐतिहासिक गुरुद्वारे में कार्यक्रम के दौरान धूम्रपान करने और पान खाने वालों की एंट्री हुई हो। इससे पहले भी बंगला साहिब गुरुद्वारा परिसर स्थित सरोवर पर करवा चौथ समारोह के दौरान कई वीडियो वायरल हुए थे। जिसमें साफ तौर पर कुछ अश्लील वीडियो के साथ-साथ सेल्फी और टिकटॉक बनाते हुए कपल कैमरे में कैद हुए थे। यह सब भी सिरसा-कालका के ठीक नाक के नीचे हुआ था।  

सरना ने अपील करते हुए कहा कि इस घटना के लिए सिरसा और कालका को समूह सिख संगत से न केवल माफी मागनी चाहिए बल्कि पवित्र रकाबगंज साहिब परिसर की पूरी तरह से सफाई करवाने का आदेश जारी करने च‌ाहिए।

वंजारा की रंगारंग जयंती कार्यक्रम पर उठाए सवाल...

हरविंदर सिंह सरना ने सिरसा और कालका की टीम पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस तरह से इन्होंने भाई लक्खी शाह वंजारा के जन्मोत्सव पर तालकटोरा स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम संचालित किए वह निंदनीय है। क्या अब ये लोग ऐसे ही फिल्मी धुनों पर थिरकते स्टेजों से गुरुओं और महान योद्धाओं को समर्पित कार्यक्रम करेंगे? सरना ने कालका और सिरसा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सत्ता और पीआर के भूखे ये लोग बगैर किसी योजना, तैयारी और विचार-विर्मश के कार्यक्रम करवाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप केवल और केवल पंथक मर्यादा को ठेस पहुंचती है। असल में यह सब धार्मिक निरक्षरता के कारण होता है। संगत इसके लिए इन्हें कभी माफ नहीं करेगी।