हिंदू अपने बच्चों को शास्त्र एवं शस्त्र दोनों की शिक्षा दें: महंत नवल किशोर दास

स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली
भारत के महान संत नवल किशोर दास ने हिंदू समाज को जागने का आह्वान करते हुए कहा कि देश की परिस्थितियां तेजी से बदल रही है । ऐसे में हमें आत्मरक्षा एवं राष्ट्र रक्षा दोनों के गुर सीखने पड़ेंगे, तथा बुद्धि कौशल एवं बल कौशल दोनों से परिपूर्ण होना पड़ेगा। महंत नवल किशोर दास ने कहा कि भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और इसमें एक धर्म विशेष के लोगों की जनसंख्या में भारी इजाफा हो रहा है। जिससे सामाजिक समरसता एवं संतुलन को भारी खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सनातन धर्म को बचाने के लिए हिंदू समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अधिक से अधिक बच्चे पैदा करें ताकि समाजिक सामंजस्य एवं संतुलन को बनाए रखा जाए। महंत नवल किशोर दास ने कहा की धर्मगुरु की यह जिम्मेदारी है कि वह हिंदू धर्म को जागृत करने तथा उन्हें शास्त्र एवं शस्त्र दोनों की शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए अभियान चलाएं। उन्होंने कहा की सभी मठ एवं मंदिरों में गरीब बच्चों निराश्रित बच्चों को शास्त्र एवं शस्त्र दोनों की शिक्षा दी जाए, तथा उन्हें मानसिक एवं शारीरिक रूप से मजबूत कर धर्म रक्षा एवं राष्ट्र रक्षा के लिए तैयार किया जाए। अगर गरीब अधिक बच्चा इसलिए पैदा नहीं कर पाता कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे में मजबूत आर्थिक स्थिति वाले हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह जरूरी है कि वह उनके बच्चों का पालन पोषण एवं शिक्षित कर फिर उन्हें सुपुर्द कर दें । धर्म की कट्टरता इंसान एवं इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन है । धर्म हमारे लिए है धर्म के रास्ते पर चलने से मानवता की रक्षा होगी यह बहुत जरूरी है, परंतु इससे किसी का नुकसान ना हो या किसी संप्रदाय या धर्म की धार्मिक भावना आहत ना हो इसका ध्यान रखना जरूरी है । महंत नवल किशोर दास ने कहा की हिंदू उदार होते हैं तथा वह हत्या मारकाट में विश्वास नहीं करते लेकिन उन्हें अपनी आत्मरक्षा के लिए शस्त्र उठाना आता है तथा कई बार उन्होंने धर्म एवं इंसानियत की रक्षा के लिए ऐसा किया भी है। सनातन धर्म का इतिहास वीरता की कहानी से भरा पड़ा है। हमें जगने की जरूरत है तथा अपने धर्म समाज एवं राष्ट्र की रक्षा का प्रण लेने की जरूरत है । एक और अहम विषय यह है कि हिंदू धर्म में दलित, पिछड़ी जाति एवं सामान्य जाति सभी हिंदू हैं वह अपने आप को हिंदू के रूप में ही पेश करें और किसी भी बहकावे में नहीं आए। कई बाहरी शक्तियां हिंदू समाज को कमजोर करने के लिए उसे तोड़ने में लगी है । इसलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है कि हम संगठित रहें और अपने लक्ष्य के प्रति हमेशा सजग रहें।