प्रकाशन की उत्कृष्ट विरासत को छोड़कर चले गए श्यामसुंदर जी


डीएडी न्यूज़ ,नई दिल्ली  


प्रभात प्रकाशन' के संस्‍थापक श्री श्यामसुंदरजी का 92 वर्ष की आयु में पिछले 28 दिसंबर को देहांत हो गया। उन्होंने जीवन भर राष्‍ट्रवादी एवं प्रेरणादायी साहित्य का विपुल प्रकाशन किया और  वह भी ऐसा साहित्य, जो न केवल नैतिक मूल्यों काे बढ़ावा देता है,बल्कि समाज- जीवन व राष्ट्र-जीवन में आदर्शों की भी स्‍थापना करता है। वे एक प्रखर हिंदी-सेवी के रूप में सदैव याद किए जाएँगे। उनका ध्येय था कि विश्व की सभी भाषाओं का श्रेष्ठ  साहित्य हिंदी पाठकों को भी उपलब्‍ध हो। उनका जन्म व आरंभिक शिक्षा मथुरा में ही हुई। उसके बाद उन्होंने अपनी स्नातक, स्नातकोत्तर और लॉ की सभी डिग्रियां इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्‍त कीं। वे इलाहाबाद में रा.स्व. संघ के पूर्व सरसंघचालक प्रो. रज्जू भैया के संपर्क में आए और वहीं से वे संघ के स्वयंसेवक के रूप में विकसित हुए। वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ संघ के विस्तार का काम भी करते थे।  सन् 1958 में उन्होंने दिल्ली में प्रभात प्रकाशन की नींव रखी और धीरे-धीरे प्रभात  प्रकाशन हिंदी साहित्य में एक विशिष्‍ट नाम बनकर उभरा। उन्होंने विश्व-प्रसिद्ध एवं नोबेल पुरस्कार से सम्मानित लेखकों, जैसे—टाॅलस्टॉय, मार्क ट्वेन, ऑस्कर वाइल्ड, 
चार्ल्स डिकेंस, आंतोन चेखव की मूल रचनाओं के श्रेष्ठ अनुवाद का हिंदी में प्रकाशन किया। उन्होंने अनेक नवोदित लेखकों की पुस्‍तकें प्रकाशित कर उन्हें साहित्य-सेवा के  लिए प्राेत्साहित किया। उन्होंने हिंदू धर्म, संस्कृति, दर्शन व अध्यात्म के पुरोधा स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ जैसे महर्षियों की सभी पुस्तकों और बँगला लेखकों—जैसे  बंकिमचंद्र चटर्जी, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय एवं रवींद्रनाथ टैगोर की पुस्तकों का प्रकाशन  भी किया। सन् 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद उन्होंने आम जनता में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम व अनुराग तथा स्वाभिमान जाग्रत् करने के लिए भी कई पुस्तकों का प्रकाशन  किया, जिनका फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने अनुमोदन किया।


उन्होंने पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ.  राजेंद्र प्रसाद, शंकर दयाल शर्मा, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम; पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल ‌ बिहारी वाजपेयी, उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी तथा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखित पुस्तकें प्रकाशित करने का गौरव भी प्राप्त किया। साथ ही अन्य विशिष्ट साहित्यकारों, जैसे—वृंदावनलाल वर्मा, लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, महादेवी वर्मा, प्रभाकर  माचवे, विजयेंद्र स्नातक, विष्‍णु प्रभाकर, विद्यानिवास मिश्र एवं अज्ञेय के साथ साहित्यिक  सत्संग करते थे। उन्होंने उनकी कई श्रेष्ठ पुस्तकों का प्रकाशन भी किया। इतना ही नहीं, विश्व-प्रसिद्ध लेखकों—जैसे बराक ओबामा, बिल क्लिंटन, हिलेरी क्लिंटन, नेपाेलियन हिल, डेल कारनेगी, लुइस एल. हे एवं जोसेफ मर्फी आदि की पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी प्रकाशित किया।1995 में उन्होंने श्री अटल बिहारी वाजपेयी के मार्गदर्शन, पं. विद्यानिवास मिश्र जी के नेतृत्व एवं तत्कालीन राष्‍ट्रपति शशंकरदयाल शर्मा की प्रेरणा से साहि‌त्यिक मासिक पत्रिका  'साहित्य अमृत' का प्रकाशन प्रारंभ किया, जिसकी आज दस हजार से भी अधिक प्रसार संख्या है। आज हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाओं में इसका विशिष्‍ट स्‍थान है। समय-समय पर निकाले गए अपने उपयोगी व पठनीय और भारी-भरकम विशेषांकों के लिए यह पत्रिका हिंदी-जगत् में हमेशा चर्चा का विषय बनी है। अपनी मृत्यु के अंतिम दिन तक वे आसफ अली रोड स्थित अपने कार्यालय में काम कर रहे थे, जो उनके सच्‍चे कर्मयोगी होने काे सिद्ध करता है। वर्तमान में प्रभात प्रकाशन हर रोज औसतन एक नई पुस्‍तक प्रकाशित करता है। श्री श्यामसुंदर जी की स्मृति सभा  बुधवार, 8 जनवरी, 2020 को सायं 4.00 बजे से 5.00 बजे तक स्पीकर हॉल, कॉन्‍स्टीट्‍यूशन क्लब एनेक्सी, रफी मार्ग में आयोजित होगी।