गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी 


नागु वर्मा  उज्जैन
फरीदाबाद में जिला स्तरीय गीता जयंती महोत्सव के  अवसर पर दोपहर बाद  सैक्टर-12 के कन्वेंशन हाल में  गीता के बौद्धिक दर्शन पर आयोजित संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञों ने श्रीमद भागवत गीता के विभिन्न पहलुओं से शिक्षक वर्ग को अवगत कराया। सेमिनार जिला शिक्षा अधिकारी सतिन्दर कौर वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसमें हिन्दी लेक्चरर बृजेश ने गीता के कर्म योग पर, लेक्चरर रूप किशोर ने गीता सार की विशेषताआंे और लेक्चरर डाॅक्टर रूद्र दत्त ने गीता मे अलौकिक चिन्तन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।
सेमिनार में गीता के बौद्धिक दर्शन पर चर्चा  हुई। गीता महोत्सव के पहले दिन के आयोजन में दोपहर तीन से चार बजे गीता के बौद्धिक दर्शन पर चर्चा हुई। शिक्षकों ने गीता आधारित थीम के साथ विस्तार से सेमिनार में विचार रखे।
 लेक्चरर बृजेश ने गीता के कर्म योग पर बोलते हुए कहा कि प्रत्येक समाज और राष्ट्र की उन्नति का आधार गीता है ।
 उन्होंने बताया कि मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी ऐसी पावन तिथि है जो पूरी दुनिया में वंदनीय तिथि बन गई है। 5156 वर्श पहले मोक्षदा एकादशी की पावन तिथि को कुरुक्षेत्र की भूमि पर दोनों सेनाओं के बीच अर्जुन को निमित बनाकर भगवान श्रीकृष्ण ने सम्पूर्ण मानव मात्र एवं प्राणी जगत के लिए गीता का दिव्य संदेश दिया था। उन्होंने कहा कि गीता मानव को तन-मन से स्वच्छ बनाकर निष्काम कर्म के लिए प्रेरित करती है। गीता का ज्ञान अजर, अमर, शाश्वत् है और हर युग में प्रासंगिक है तथा रहेगा। गीता में कर्म करने पर बल दिया गया है। श्निष्काम कर्म श् एक ऐसा दर्शन है, जोकि हर प्राणी, प्रत्येक समाज और राष्ट्र की उन्नति का आधार है। लेक्चरर रूपकिशोर ने गीता सार की विशेषताओ पर बोलते हुए कहा कि भारत की संस्कृति की गूंज अब पश्चिमी देशों में भी हो रही है। वेद और गीता के ज्ञान के प्रति दुनिया के सभी देश आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि गीता हमारी संस्कृति, विज्ञान व ज्ञान है। उन्होंने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गीता को उपयोगी बताते हुए कहा कि गीता के संदेश से युवा पीढ़ी भटकाव के रास्ते पर नहीं जाएगी। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षक समुदाय से भी अपील करते हुए कहा कि वे भी अपनी कक्षाओं में बच्चों को गीता से जुड़े श्लोक व उनके भाव जरूर बतलाए ताकि देश के उज्ज्वल भविष्य की नींव मजबूत की जा सके।
लेक्चरर डाक्टर रूद्रदत्त ने कहा कि  गीता मे अलौकिक चिन्तन है। इसमें मानव जीवन के हर पहलू पर आधारित रचनाओं का समावेश है। उन्होंने कहा कि गीता ज्ञान है और गीता विज्ञान है । गीता विश्व का सर्वोच्च ग्रंथ है। सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान का समावेश गीता ग्रंथ में पाया गया है । इस अवसर पर  बड़ी संख्या में शिक्षाविद्,  गणमान्य व्यक्ति सेमिनार में भागीदार बने।