दिल्ली सरकार ने किया प्राइवेट स्कूलों को अनदेखा-अनिल गोयल 

-डाॅ हर्षवर्धन व विजेंद्र गुप्ता से लगाई गुहार, जल्द हो समस्याओं पर विचार


कुसुम लता, नई दिल्ली
काफी समय से चली आ रही प्राइवेट स्कूलों की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई है। जिसे दिल्ली सरकार ने सुलझाने का प्रयास नहीं किया। यदि केजरीवाल सरकार बच्चों का भविष्य सुधारने का वास्तव में प्रयत्न करना चाहती तो सरकारी स्कूलों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूलों की ओर भी ध्यान दिया जाता। क्योंकि आज के दौर में ज्यादातर लोग अपने बच्चों को सरकारी की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों में पढाना अधिक पसंद करते है। यह कहना है साउथ दिल्ली पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के चेयरमैन अनिल गोयल का। यह बात उन्होंने प्राइवेट स्कूलों की समस्याओं के संदर्भ में स्कूल प्रबंधकों के नेतृत्व में आयोजित बैठक में संबोधित करते हुए कही। इस दौरान इस विशेष  बैठक में केंद्रीय मंत्री डाॅ हर्षवर्धन,नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के समक्ष सभी स्कूुल प्रबंधकों ने अपनी समस्याओं को सांझा किया। श्री गोयल ने कहा कि डाॅ हर्षवर्धन व विजेंद्र गुप्ता जी ने अपने कीमती समय में से कुछ समय निकालकर स्कूलों की  परेशानियों को सुना और उसे सुलझाने का  आश्वाशन  भी दिया। यह अपने आप में एक बहुत बडी बात है। 



इस दौरान डाॅ हर्षवर्धन ने कहाकि सभी प्राइवेट स्कूलो की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करवाने का प्रयास किया जाएगा। 
वहीं नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहाकि वे सभी प्राइवेट स्कूलों के हितों की खातिर दिल्ली सरकार के गलत निर्णयों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। इस दौरान विभिन्न स्कूलों से  शिव शक्ति स्कूल से सतीष सिंघल, दिनेश जैन, सतीश कुमार, अनिल रस्तोगी, मनीषा, अजय गुप्ता, चमन लाल, मौला, रीना सागवान, प्रेम देशवाल, चंद्रकांता, राजेश मल्होत्रा व संजय अग्रवाल आदि प्रमुख स्कूल वालों ने भाग लिया।


स्कूलों ने अपनी मांग रखी कि शिक्षकों और अभिभावकों के हितों की रक्षा के लिए, स्कूलों को वेतन पर  टयूशन शुल्क  के रूप में प्राप्त राशि का 60 प्रतिशत खर्च करना अनिवार्य होना चाहिए शेष  40 प्रतिषत को स्कूल के रखरखाव और विकास के लिए अनुमति दी जानी चाहिए। 
स्कूलों की मान्यता प्रक्रिया को सरल और तर्कसंगत बनाना ताकि गैर मान्यता स्कूलों को मान्यता मिल सके। 
नियम अनुसार स्कूलों को नो प्राफिट नो लास में चलाया जाता है। सरकारें बिजली, पानी, सीवर, हाउस टैक्स, आदि का कर्मषीयल चार्ज वसुलती है। स्कूलों से घरेलू  चार्ज लिया जाए। गलती किसी की भी हो स्कूल मेनेंजमेंट को सजा दी जाती है। जिसकी गलती हो उसे सजा दी जाए। दिल्ली सरकार द्वारा ईडब्लयूएस के कोटे में पढने वाले बच्चों की फीस 
कई-कई सालों तक लटका दी जाती है। फीस अमाउंट समय पर दिया जाए।अफोर्डेबल प्राइवेट स्कूल प्रतिनिधियों के बीच कोई ऐसा सिस्टम डिवेलप किया जाए जिससे समय पर हम अपनी बातें रख सकें आदि मांगे रखी।