राम मंदिर-बाबरी मस्जिद फैसले से पूर्व मुसलमानों को छोड देनी चाहिए जमीन

-दुश्मन देश  कर सकते है हिंदू-मुस्लिम एकता पर प्रहार



स्वतंत्र सिंह भुल्लर, नई दिल्ली-


राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के फैसले से पूर्व मुसलमानों को बाबरी मस्जिद की जमीन छोड देनी चाहिए। क्योंकि यही फैसला हिंदू-मुस्लिम एकता व देश  के हक में है।


यह कहना है सक्रिय जिला भाजपा प्रचारक  मुशीर  अहमद का। जो पिछले कई सालों से कीरतपुर बिजनौर में सक्रिय नेता है। उन्होंने कहा कि 13 नवंबर को फैसला आना तय है। यदि सुप्रीम कोर्ट संभवता 20-30 या 40 प्रतिशत मस्जिद का हिस्सा मुसलमानों को देते है, तो भी मस्जिद के होने का अस्तित्व नहीं रहेगा। क्योंकि उस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय की संख्या कम है। जबकि इसके विपरीत हिंदुओं के लिए श्री राम भगवान है। जिनके प्रति हिंदूओं की आस्था अति गंभीर है।


इस कारण यदि कोर्ट ने जमीनों का बटवारा किया, तो हिंदू-मुस्लिम एकता का भी बटवारा हो जाएगा। क्योंकि अर्सें से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद चला आ रहा है, जो अपने चरम पर पहुँच  चुका है।


कोर्ट के परिणाम दोनों में से जिस समुदाय के पक्ष में भी होगा, तो मुमकिन है दूसरा पक्ष विरोधी बनकर उभरेगा। यदि मुस्लिम स्वयं ही उक्त जमीन छोडते है, तो एक-दूसरे को शर्मिंदा नहीं होना पडेगा। यदि मुस्लिम समाज पहल करेगा, तो हिंदू समाज भी उनका पक्षधर होगा।


हम कहीं  पर भी अल्लाह की इबादत कर  नमाज़ अता कर सकते है। बस वहां का वातावरण पवित्र होना चाहिए।


राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में हमारे  दुश्मन देश  इस फैसले का फायदा उठाकर हिंदू-मुस्लिम एकता को तोडने का प्रयास कर सकते है। पहले ही विरोधी कश्मीर मामले में  शिकस्त खा चुके है और बदला लेने की फिराक में है। हमें उन्हें यह मौका नहीं देना चाहिए। अन्यथा  देश का माहोल ख़राब हो सकता है |