सफदरजंग अस्पताल में यौन उत्पीड़न सरवाइवर की चिकित्सा कानूनी जांच के लिए एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली
नई दिल्ली। प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में पिछले 15 सितंबर को "यौन उत्पीड़न सर्वाइवर की चिकित्सकीय कानूनी जांच के लिए दिशानिर्देश" पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका उद्घाटन उप महानिदेशक डॉ. अमिता बाली, योजना एवं प्रशासन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं डॉ. वंदना तलवार, चिकित्सा अधीक्षक एवं सभी अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक ने किया। डॉ. वंदना तलवार, चिकित्सा अधीक्षक ने यौन उत्पीड़ित सर्वाइवर में मनोसामाजिक परामर्श की आवश्यकता को संबोधित किया और टिप्पणी की कि घटना के बाद पोस्ट ट्रॉमेटिक सिंड्रोम की घटनाएं अधिक होती हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सखी, वन स्टॉप सेंटर, यौन उत्पीड़ित की जरूरतों को पूरा करने के लिए है। डॉ. अमिता बाली ने यौन उत्पीड़ित की जांच के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा बार-बार ऐसी कार्यशालाओं की आवश्यकता है। आयोजन अध्यक्ष के रूप में डॉ बिंदू बजाज ने गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उन्होंने टिप्पणी की कि स्वास्थ्य कर्मी यौन उत्पीड़िता के लिए पहला संपर्क हैं और इस प्रकार वे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रोफेसर (डॉ) मोनिका गुप्ता, नोडल अधिकारी, वन स्टॉप सेंटर, वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल ने आयोजन सचिव के रूप में प्रतिनिधियों को सुरक्षित किट के बारे में बताया। कार्यशाला में भारत के 10 से अधिक राज्यों और केंद्र के 80 प्रतिनिधियों (डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों) ने कानूनी चिकित्सीय परीक्षण पर विचार-मंथन किया । डॉ विनीता ने कानूनी निहितार्थ (इम्प्लकैशन), वन स्टॉप सेंटर , डॉ कुशवाहा ने फोरेंसिक नमूना संग्रह के बारे में बात की, डॉ वर्मा ने मेडिको कानूनी मुद्दों के बारे में बताया, प्रोफेसर (डॉ) रेखा भारती ने एसटीआई के लिए प्रोफिलैक्सिस और उपचार के बारे में बताया और नर्सिंग अधिकारी सीमा राठौड़ ने एक नर्स की भूमिका प्रस्तुत की। डॉ. अनुराधा ने पोक्सो अधिनियम के बारे में बात की, परामर्शदाता लक्ष्मी ने एक माइनर सर्वाइवर के मुद्दों और परामर्श देने के तरीकों पर प्रकाश डाला।