तख्त हजूर साहिब में गैर सिख को प्रबन्धक नियुक्ति कर सरकार सिखों के धार्मिक स्थलों पर कब्जा करना चाहती है: परमजीत सिंह सरना

स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली
इकबाल सिंह लालपुरा की चुप्पी पर भी सरना ने उठाये सवाल

षिरोमणी अकाली दल दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने प्रेस को भेजे ब्यान में कहा है कि तख्त श्री हजूर साहिब सिखों का पवित्र स्थान है जहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने आदेश दिया था कि, ‘‘सभ सिखन को हुक्म है गुरु मान्यो ग्रंथ’’। ‘‘आत्मा पुस्तक में है और शरीर पंथ में है।’’ इसलिए यह स्थान सिख समुदाय के लिए एक अद्वितीय स्थान रखता है। लेकिन सरकार ने वहां एक गैर-सिख प्रशासक नियुक्त करके सिख समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और सीधे तौर पर सिखों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है जिसे सिख समुदाय कभी बर्दाषत नहीं कर सकता।

सः सरना ने कहा हमें यह समझना होगा कि जिस प्रकार सरकार ने सबसे पहले अपने करीबी प्रशासकों की नियुक्ति की, भले ही पहले प्रशासनिक अधिकारी एस. पसरीचा की नियुक्ति भी सिख समुदाय की सहमति के बिना की गई थी, लेकिन एस. पसरीचा ने अच्छा काम किया, इसीलिए सिख समुदाय ने उनका विरोध नहीं किया। यदि ऐसा करना ही था तो होना यह चाहिए था कि जब तक अधिकारी के रूप में कोई अच्छा गुरसिख नहीं मिल जाता, तब तक पसरीचा जी की सेवाएँ ली जातीं, लेकिन अब सरकार ने गैर-सिखों को ही हमारे गुरु साहिबान में प्रबन्धक बनाने का निर्णय लिया है, जो कि सिख मर्यादा के पूरी तरह से खिलाफ है। सः सरना ने इस बात का भी अन्देषा है कि सरकार यही कवायद हरियाणा और दिल्ली में भी शुरू कर सकती है क्योंकि यहां भी सरकार ने अपने आदमी तैनात कर गुरुद्वारा प्रशासन पर कब्जा किया हुआ है और अब सरकार की मंशा जल्द से जल्द यहां के प्रशासन में गैर-सिखों को शामिल करने की होगी। उन्होंने कहा यह सब सिखों की पहचान पर हमला है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सरकार को अविलंब गैर सिख प्रशासक को हटाकर किसी अमृतधारी गुरसिख को प्रशासक नियुक्त करना चाहिए। आवश्यकता इस बात की है कि सरकार के किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को रोका जाए और लोकतांत्रिक तरीके से समग्र प्रबंधन सिख समुदाय के पास हो। 

उन्होंने कहा कि हैरानी इस बात की भी है कि एक ओर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, शिरोमणि कमेटी की गतिविधियों में हस्तक्षेप कर रहे हैं पर इतने बड़े फैसले पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं जबकि उनका कर्तव्य बनता था कि इस पर अपनी सरकार को सलाह दी जाती कि गैर-सिख प्रशासक नियुक्त करना सिख हितों के खिलाफ है। उन्हांेने कहा भारतीय जनता पार्टी को यह भी समझ लेना चाहिए कि वह सिखों के वोट जो हासिल करना चाहती है, वह इस तरह की हरकतों से पूरा नहीं होगा, बल्कि सिख बीजेपी के खिलाफ हो जाएंगे और अकाली-बीजेपी गठबंधन के दोबारा बनने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. व्यक्त किये जा रहे हैं.. इसका असर उस पर भी पड़ेगा.

पूरे खालसा पंथ को यह समझना चाहिए कि सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की या किसी भी पार्टी की, उसकी एक ही मंशा है कि जितनी जल्दी हो सके सिखों को उनकी गुरुद्वारा व्यवस्था से अलग कर दिया जाए। सारी व्यवस्थाएं अपने हाथ में ले लेनी चाहिए . आज हमारे लिए जो परिस्थितियां बनी हैं. वे हमारे लिए बहुत गंभीर हैं. संपूर्ण खालसा पंथ को आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर देश पर हो रहे इन हमलों का जवाब देना चाहिए।