नई दिल्ली: दिल्ली अकाली दल के अध्यक्ष सरदार परमजीत सिंह सरना ने कहा कि सरदार तरलोचन सिंह द्वारा लिखा गया पत्र सुझाव एक अध्यादेश के समान है तथा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण भी है।
हम इस बात से आहत हैं कि एक ऐसे व्यक्ति जिसे सिख धर्म का कोई अभ्यास नहीं है, स्वयं को ब्रिटिश सिखों की आवाज़ के रूप में अभिव्यक्त किया ,वही दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के एक जिम्मेदार प्रतिनिधि को फरमान जारी किया जो कि सिख कौम की ऐसी जत्थेबंदी का नुमाईंदा है जिसने भारत की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी, ब्रिटिश शासन से मुकाबला किया और एस.जी.पी.सी की शुरुआत की।यह कहना था दिल्ली अकाली दल के अध्यक्ष सरदार परमजीत सिंह सरना का उन्होंने सरदार् तरलोचन सिंह पर कई गंभीर आरोप भी लगाए।सरना ने बताया कि इस संबंध में कुछ अन्य शोध हैं जो सार्वजनिक तौर पर भी उपलब्ध हैं। हम सरदार तरलोचन सिंह के संबंध में अपने लिखे गए पत्र पर कायम हैं।उनका सिख समाज के किसी भी पद पर रहना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। अतः बिल्कुल स्पष्ट हैं कि वह किस तरह से यूके सिख क्लब के सदस्य हैं।यह सर्वजनिक है।