राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए झूठ बोलना बीबी जगीर कौर को शोभा नहीं देता: सरना
नई दिल्ली, 10 जून: शिरोमणि अकाली दल दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष व दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबध्ंाक कमेटी के चुनावों के मद्देनज़र अकाली दल को लेकर बीबी जगीर द्वारा की जा रही बयानबाज़ी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, साथ ही नए बोर्ड शिरोमणि अकाली पंथ से जगीर कौर के चुनाव लड़ने पर अपने विचार व्यक्त किए ।
यहां जारी एक बयान में सरदार सरना ने कहा कि बीबी जगीर कौर पंथ की सर्वोच्च नुमाईंदा जत्थेबंदी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अध्यक्ष रही हैं इसलिए राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए झूठ बोलना बीबी जगीर कौर को शोभा नहीं देता। निजी महत्त्वाकांक्षाओं के चलते वह भूल गई हैं कि जिस अकाली दल को वह कोस रही हैं उसी पार्टी ने उन्हें शिरोमणि कमेटी का अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री, विधायक, स्त्री अकाली दल का अध्यक्ष व लोक सभा की टिकट देकर नवाज़ा। किस मुंह से वह स्वयं को धार्मिक कह रही हैं क्योंकि जब शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष पद पर रह कर सेवा करने के लिए कहा गया था तो धार्मिक सेवा का चुनाव न करते हुए उन्होंने विधायक व मंत्री पद चुना, तब धार्मिकता कहां गई थी जबकि सिखों के लिए धर्म और राजनीति दोनों एक समान पहलू हैं तथा शिरोमणि अकाली दल हमेशा ही इन पर डट कर पहरा देता रहा है।
सरदार सरना ने कहा कि अकाली दल जब अपनी बुलंदियों पर था तो बीबी जगीर कौर ने हर सुख सुविधा का आनंद उठाया लेकिन आज जब पंथ, पंजाब व अकाली हितों के संघर्ष का समय है तो वह पाला बदलते हुए केवल निजी स्वार्थों के लिए पंथ विरोधी ताकतों के साथ मिल गई हैं। सब जानते हैं कि अकाली दल एक अनुशासित पार्टी है। इससे पूर्व में भी जब बीबी जगीर कौर ने अकाली दल में रहकर पार्टी के खिलाफ बोलना शुरू किया था तो पार्टी ने उन्हें समझाते हुए अनुशासन में रहने की अपील की लेकिन वह नहीं मानीं तो पार्टी ने अुनशासनात्मक कार्रवाई करते हुए जगीर कौर को बाहर का रास्ता दिखा दिया जिसके बाद जगीर कौर ने दुष्प्रचार शुरु कर दिया।
उन्होंने कहा कि एक नया बोर्ड बीबी जगीर कौर ने बनाया है तथा ऐसा कहा जा रहा है कि अकाली दल को हराने के लिए सभी पार्टियों की मदद ली जाएगी फिर चाहे वह आम आदमी पार्टी हो, कांग्रेस हो, भाजपा हो। इससे स्पष्ट होता है कि जगीर कौर पंथक प्रबंध में सिख विरोधी ताकतों के हस्तक्षेप का रास्ता खोलने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 100 वर्षों का इतिहास रहा है कि पंथ ने गुरुघरों के प्रबंध के लिए सदैव अकाली दल को ही सेवा सौंपी है और इस बार की पंथ विरोधी ताकतों व सरकारी दरबारी लोगों को मुंह की खानी पड़ेगी।
अंत में सरदार सरना ने बीबी जगीर कौर से अपील करते हुए कहा कि उन्हें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए कि आने वाला समय उन्हें अपराधबोध की तरह देखे। जिस सोच के साथ वह अकाली दल में थीं उसी में वापस आना चाहिए तथा अकाली हितों के संघर्ष के लिए डट कर पहरा देना चाहिए