पवनानंद गिरि जी महाराज जिनका लक्ष्य है जीवन के साथ एवं जीवन के बाद भी मानव सेवा

स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली
मनुष्य के जीवन पर उसके पारिवारिक परिवेश एवं संस्कारों का गहरा असर होता है। श्री श्री अयोध्या धाम (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संत शिरोमणि श्री श्री श्री श्री पवनानंद गिरी पर भी उनके पारिवारिक, आध्यात्मिक परिवेश एवं संस्कारों का गहरा असर है। उन्होंने सनातन धर्म प्रचार एवं समाज सेवा को अपना जीवन समर्पित कर दिया है। संत का जीवन ही परोपकार के लिए होता है और यह जीवन दर्शन श्री श्री श्री श्री पावनानंद गिरीजी के व्यक्तित्व में स्पष्ट झलकता है। संतश्री ने 'श्री श्री अयोध्या धाम' के नाम से 21 जनवरी 2022 को एक ट्रस्ट की भी स्थापना की है। यह ट्रस्ट मानव कल्याण एवं समाज सेवा को लक्ष्य कर बनाया गया है। 3 साल की अल्पायु से ही योग और साधना के माध्यम से जीवन को धन्य करने का लगन उनके संत स्वभाव एवं परित्यक्त जीवन को परिलक्षित करता है। उन्होंने 16 साल तक लगातार साधना की। स्वामी परमानंद गिरि ने जीवित रहते हुए मानवता की सेवा करने का प्रण तो लिया ही हैं परंतु वह राजर्षि दशरथ ऑटोनॉमस स्टेट मेडिकल कॉलेज अयोध्या, यूपी को अपना देह दान भी कर मानवता के प्रति अपने पूर्ण समर्पण का अनुपम उदाहरण पेश किया है । जिसमें यह साफ झलकता है कि उनके अंतर्मन की तार अध्यात्म एवं बैराग्य से जुड़ा है। सरल स्वभाव एवं प्रसन्न चित्त व्यक्तित्व के धनी पावनानंद गिरि जी महाराज अनवरत विभिन्न रूपों में मानव सेवा के काम में लगे है। जब उनसे देश की राजनीति पर सवाल पूछा गया कि मोदी जी की सरकार को कितना बेहतर मानते हैं, तो उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सनातन धर्म को मजबूत करने एवं भगवान राम के मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर एक प्रशंसनीय काम किया है। उन्होंने कहा कि भारत हिंदू बाहुल्य राष्ट्र है, इसलिए भारत को 'हिंदू राष्ट्र' बनाना कहीं से भी अनुचित नहीं है। दूसरी तरफ सरकार को कठोर कानून बनाकर धर्मांतरण जैसे गंभीर प्रकरण पर भी अंकुश लगा देना चाहिए। देश की भोली-भाली जनता को बहला-फुसलाकर कुछ स्वार्थी एवं हिंदू विरोधी ताकते धर्मांतरण करा रही है, जिस पर पूर्ण अंकुश लगना चाहिए। केंद्र की मोदी सरकार को इसके लिए कठोर कानून बनाने की जरूरत है।