हमारे भारतीय संविधान में पूरे समाज को दिये गये हैं मौलिक अधिकार : राजेश खुराना

 


संजय सागर आगरा

"संविधान केवल वकीलों का कोई दस्तावेज नहीं बल्कि यह जीने का एक साधन हैं और इसकी भावना सदैव समान रहती हैं"

आगरा। आज पूरा देश संविधान दिवस मना रहा है। आज के ही दिन 73 वर्ष पूर्व संविधान सभा ने इसको पारित किया था। भारत सरकार ने आज के दिन सभी नागरिकों को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने को कहा ताकि हर भारतीय इसे समझ सके। हमारे यशष्शवी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी ने अधिसूचना जारी कर 19 नवंबर 2015 को ये घोषित किया कि 26 नवंबर को देश संविधान दिवस मनाएगा। आज आठवां संविधान दिवस है। 

आज आठवें संविधान दिवस के शुभ अवसर पर आगरा स्मार्ट सिटी, भारत सरकार के सलाहकार सदस्य,भारतीय नमो संघ के जिलाअध्यक्ष,अपराध निरोधक लखनऊ के सचिव व हिन्दू जागरण मंच, ब्रज प्रान्त उ.प्र.के प्रदेश संयोजक तथा आत्मनिर्भर एक प्रयास के चेयरमैन एवं लोकप्रिय व् सुप्रशिद्ध समाजसेवक राजेश खुराना ने आठवें संविधान दिवस की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई व्यक्त करते हुऐ बताया कि संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर जी को याद करते हुए उनके योगदान के प्रति हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। संविधान में प्रस्तावना की शुरुआत हम भारत के लोग से होती है। भारतीय संविधान में अब तक 124 बार संशोधन हुआ है। 26 जनवरी 1950 को ही अशोक चक्र को बतौर राष्ट्रीय चिन्ह स्वीकार किया था। संविधान के निर्माण एवं उसके अनुरूप कार्य व्यवहार एवं उसकी प्रासंगिकता पर विचार करना चाहिए। देश की एकता, संप्रभुता एवं अखंडता बनाए रखने के साथ ही अपने दायित्वों के जिम्मेदारी से निर्वहन करना चाहिए। सभी नागरिको को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्राप्त है। इसके द्वारा वे भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बना सकते है। व्यक्ति की गरिमा के साथ-साथ राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने के लिए आपस में देश प्रेम बढाने के लिए हम सभी दृढ संकल्पित हो। संविधान की मूलभावना के अनुरूप ही प्रत्येक नागरिक को अनुपालन एवं आचरण करना चाहिए, जिससे किसी भी नागरिक का संवैधानिक अहित ना हों। भारतीय संविधान में दलितों, पिछड़ो सहित पूरे समाज को मौलिक अधिकार दिये गये है। संविधान के प्रस्तावना में ही इसका स्पष्ट उल्लेख है। संविधान की रक्षा हम सबका दायित्व है। भारतीय संविधान ने देश के नागरिकों को अधिकार देने के साथ ही कर्तव्यों का भी निर्धारण किया है। भारतीय संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। 26 नवम्बर 1949 को संविधान को राष्ट्र को समर्पित किया गया और 26 जनवरी 1950 में इसे लागू किया गया था।

श्री खुराना ने बाबासाहेब आंबेडकर जी के शब्दों को याद करते हुए कहा कि संविधान केवल वकीलों का कोई दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह जीने का एक साधन है और इसकी भावना सदैव समान रहती है। संविधान के बहुमूल्य योगदान को हम याद करते हैं। संविधान जीने का एक जरिया है और इसकी भावना हमेशा समान रहती है। भारतीय संविधान हर मोड पर खरा उतरा है और देश वासियों की अपने संविधान के प्रति अटूट निष्ठा है। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान की प्रस्तावना में नागरिकों के लिये राजनीतिक,आर्थिक व सामाजिक न्याय के साथ स्वतंत्रता के सभी रूप शामिल हैं। प्रस्तावना नागरिकों को आपसी देश प्रेम व बंधुत्व के माध्यम से व्यक्ति के सम्मान तथा देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने का संदेश देती है। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है, उनकी देश को चलाने में क्या भूमिका है, इन सभी बातों का जिक्र हमारे संविधान में है। भारतीय संविधान दुनियां में अनूठा है और जीवन के हर मोड़ पर हमारा संविधान लगातार खरा उतर रहा है, यह संबिधान की बहुत बड़ी उपलब्धि है। हमारे संविधान में साफ लिखा है कि देश का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा। यह किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता न किसी से भेदभाव करता है। संविधान सभा में इसे लिखने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर ने एक बात कही थी कि‘‘आज इस संविधान की अच्छाइयां गिनाने का कोई खास मतलब नहीं है। संविधान कितना ही अच्छा हो, अगर इसका इस्तेमाल करने वाले लोग बुरे होंगे तो यह बुरा साबित होगा। अगर संविधान बुरा है, पर उसका इतेमाल करने वाले अच्छे होंगे तो फिर भी संविधान अच्छा साबित होगा। जनता और राजनीतिक दलों की भूमिका को संदर्भ में लाए बिना संविधान पर टिप्पणी करना व्यर्थ होगा। जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे उस दिन बाहर बारिश हो रही थी। सदन में बैठे सदस्यों ने इसे बहुत ही शुभ शगुन माना था। आज आठवें संविधान दिवस के शुभ अवसर पर हम सभी संकल्प ले की हर हाल में चाहें हमें कोई भी कुर्बानी देनी पड़े हम संविधान की हमेशा रक्षा करेंगे। क्योंकि आज हम जो भी हैं इस पवित्र एवं सबसे बड़े ग्रंथ संविधान की वजह से ही हैं। तुम्हारी हर तकलीफों का में एक मुकम्मल जवाब हूँ, में कभी वक्त मिले तो पढ़ना में भारत का संविधान हूँ। देश के सबसे बड़े एवं पवित्र ग्रंथ संविधान की रक्षा करना हर भारतीय का मौलिक अधिकार एवं उसको ह्रदय से अंगीकृत एवं आत्मार्पित करना हम सभी का कर्तव्य है। क्योंकि हमारा संविधान किसी से भेदभाव नही करता हैं। हम सभी आज संकल्प ले की हर हाल में चाहें हमें कोई भी कुर्बानी देनी पड़े हम संविधान की हमेशा रक्षा करेंगे। इसी विचार के साथ एक बार पुनः सभी देशवासियों को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।