बुलंद हौसले एवं कठोर मेहनत के बदौलत मेहुल शर्मा ने दसवीं में हासिल किया सम्मानजनक ग्रेड

 


स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली 

कहते हैं जब हौसले बुलंद हो और कुछ कर दिखाने का जज्बा मन में हो तो कोई भी कठिनाई बहुत समय तक उसे अपना लक्ष्य प्राप्त करने से नहीं रोक सकती। पूर्वी दिल्ली के मंडावली जैसे व्यस्ततम एवं सुविधा से वंचित क्षेत्र में रहने वाली मेहुल शर्मा ने अपने पिता प्रवीण शर्मा एवं माता दीपा शर्मा का नाम दसवीं की परीक्षा में सम्मानजनक ग्रेड एवं 75.5 परसेंट अंक लाकर रोशन किया है। ईडब्ल्यूएस कोटे से पढ़ाई कर अर्थाभाव में जीवन व्यतीत कर भी दसवीं की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन मेहुल शर्मा के जज्बे और कुछ कर दिखाने की ललक की ओर इशारा करता है। कठिनाइयों में जीवन बसर करने के बाद भी दसवीं में अपनी एक खास पहचान बनाने वाली छात्रा की जुबानी ही हम सुनते हैं उनके पढ़ाई एवं जिंदगी का सफर।मेरे पिताजी प्राइवेट कंपनी में काम करते है , माताजी घर के काम करती हैं। मेरे 2 छोटे जुड़वा भाई है जिनकी आयु 2 साल है जिनको खिलाने और मां के साथ काम में हाथ बटवाने 

के साथ पढ़ाई करती थी । मेरे मां बाप ने मुझे उच्च शिक्षा प्रदान करने का हर प्रयास करा । भाई छोटे होने के कारण मैं केवल रात को ध्यान से पढ पाती थी। मैं 12 में और अच्छे अंक लाने का प्रयास करुंगी और सबका नाम रोशन करुगी । मैं एक अच्छी अधिकारी बन कर समाज को प्रेरणा दूंगी । गरीबी कभी आपकी तरक्की नहीं रोक सकती है । मुझे मेरे टीचर और परिवार और रिश्तेदार ने खासकर मोहित भाई ने पढ़ाई के लिए अधिक प्रोत्साहन दिया और हर संभव मदद करी है । परंतु इतना शोर तथा विकर्षण होने के कारण थोङी देर भी पढना कठिन लगता था। उसके साथ साथ हमारे मंडावली में जहा हम रहते है वहा सभी रिक्से वाले और ऐसे कार्य करने वाले लोग रहते है इसलिए उनके साथ न खेल कर घर में पढ़ना शुरू कर दिया ।हमारी जॉइंट फैमली हैं चाचा चाची उनके बच्चे और मेरे भाई के साथ खेलती और उनके साथ समय बिताना और पढाई मे मदद करना ही मेरे लिए खेल थे।