दिल्ली कमेटी कर्मचारियों के बकाया राशि देने से मुकर नहीं सकता कालका : सरना
स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली

- शिरोमणि अकाली दल दिल्ली ने दिल्ली कमेटी कर्मचारियों की बकाया तनख्वाह पर झूठी गवाही के लिए कालका को आड़े हाथों लिया

- सरना ने डीएसजीएमसी के खातों की जांच के लिए न्यायिक जांच की मांग की

नई दिल्ली, 3 जून - शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (शिअदद) ने सिरसा-कालका जोड़ी पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) द्वारा अदालत में कमेटी के पूर्व प्रबंधकों द्वारा कर्मचारियों के वेतन में 135 करोड़ बकाया का झूठी गवाही देने का गंभीर आरोप लगाया है।

शिअदद का कहना है कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका के वकील ने माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में बिना किसी सबूत पेश किए एक अस्पष्ट चार्ट पेश किया, जिसमें दावा किया गया कि कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सरना बंधुओं द्वारा कमेटी के कर्मचारियों का 81 करोड़ और पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके के कार्यकाल में 54 करोड़ बकाया था।

शिअदद के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने इस बारे में कहा कि 2013 में गठित नई कमेटी ने कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध किया था, लेकिन मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा विभिन्न आधार व माध्यमों से लगातार इस कदम को खारिज कर दिया गया। 

सरना ने कहा कि सिरसा ने छठे वेतन आयोग की प्रक्रिया को कभी भी सफल नहीं होने दिया। बल्कि, सिरसा-कालका का यही प्रयास था कि यह प्रक्रिया हमेशा अंधेरे में ही रहे।

सरना ने सिरसा-कालका जोड़ी को न्यायालय में झूठी गवाही देने पर बुरी तरह लताड़ा।

सरना ने कहा कि "मौजूदा कमेटी ने हम पर और मंजीत सिंह जीके पर कमेटी के कर्मचारियों के बकाया वेतन का भुगतान न करने का आरोप लगाने की असफल कोशिश की है। 

इससे पहले उन्होंने अदालत में गुरु हरकृष्ण पब्लिक स्कूलों के स्वामित्व को त्याग दिया था । लेकिन हम किसी भी कीमत में इनको इस सफेद झूठों के साथ इन्हें इनकी ज़िम्मेदारियों से भागने नहीं देंगे!"

सरना ने मांग की है कि कालका-सिरसा दोनों को उच्च न्यायालय में झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार किया जाना चाहिए और इन दोनों पर धोखाधड़ी व जालसाजी का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

सरना ने मांग की कि दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वित्तीय स्थिति पर तुरंत एक न्यायिक आयोग गठित कर जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि आयोग सन 2002 से कमेटी के वित्तीय स्थिति की जांच निष्पक्षता से करे। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कमेटी की पुस्तकों का ऑडिट हो और समिति के वित्तीय स्वास्थ्य के पतन के लिए जवाबदेही तय करने वाला एक श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिए।गुरमीत सिंह शंटी, करतार सिंह चावला, जसमीत सिंह प्रीतम पुरा, मंजीत सिंह सरना, भूपिंदर सिंह पी आर ओ