यदि कश्मीर के बिगड़ते हालात संभालने है तो आतंकियों के साथ उन्हें शरण_सहयोग देने वालों को निर्ममता के साथ कुचलना ही होगा:लक्ष्मी सिन्हा
डी ए डी न्यूज़ दिल्ली

बिहार (पटना सिटी) राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने बातचीत में बताया कि कश्मीर के बिगड़ते हालत नई चुनौती बनी हुई है। कुलगाम मैं हिंदू अध्यापिका रजनी बाला की हत्या बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या यही बताती है कि कश्मीर में सक्रिय आतंकी गैर मुस्लिमों को खासतौर पर निशाना बनाने पर आमादा है। इन आतंकियों ने सरकारी स्कूल में घुसकर रजनी बाला को गोली मारी एवं विजय कुमार को बैंक में घुसकर जिस तरह गोली मारी, उससे उस खौफनाक घटना का स्मरण आया, जिसमें चंद माह पहले श्रीनगर के एक स्कूल में कुछ इसी तरह एक सिख शिक्षिका और एक कश्मीरी पंडित शिक्षक की हत्या की गई थी। इन दोनों को उनके पहचान पत्र देखकर गोली मारी गई थी। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि इसके बाद से इसी तरह से हत्याओं का सिलसिला कायम है। अभी पिछले दिनों बड़गाम जिले में आतंकियों ने तहसील कार्यालय में घुसकर वहां के कर्मचारी राहुल भट्ट को गोलियों से छलनी कर दिया था। वह भी कश्मीरी पंडित थे। यह ठीक है कि पुलिस और सुरक्षाबलों के जवान इस तरह की टारगेट किलिंग करने वाले आतंकियों को कुछ ही दिनों के अंदर ढेर कर देते हैं, लेकिन इससे घाटी में बचे_खुचे कश्मीरी हिंदुओं की दहशत दूर नहीं होती, क्योंकि वे हर दिन अपने लोगों की हत्या के भयावह सिलसिले को देख रहे हैं। इसमें उनका मनोबल तो गिरता ही है, श्रीमती सिन्हा ने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं की घाटी में वापसी की संभावनाएं भी स्याह होती है। आतंकी केवल कश्मीरी हिंदुओं को ही भयाक्रांत नहीं कर रहे हैं। वे जब_तक कश्मीरी पुलिस के जवानों को भी निशाना बनाते हैं और उन्हें भी, जिन्हें पाकिस्तानपरस्त तत्वों के हिसाब से चलना स्वीकार नहीं। वास्तव में आतंकी कश्मीरी हिंदुओं के साथ घाटी के हर उस व्यक्ति को खौफजदा करना चाहते हैं, जो राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए तैयार हैं। इसमें कोई संदेह नहीं की यह सब पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है। वहां सरकार भले ही बदल गई हो, लेकिन भारत के प्रति रवैया में कोई बदलाव नहीं आया। या एक विडंबना ही है कि जब पाकिस्तान कश्मीर को अस्थिर_अशांत करने से बाज नहीं आ रहा है, तब भारत उससे सिंधु जल संधि न पर बात कर रहा है। श्रीमती सिन्हा ने कहा कि क्या यह उचित नहीं की पाकिस्तान की नापाक हरकतों को देखते हुए भारत इस सधिं पर नए सिरे से विचार करें? यदि पाकिस्तान को कश्मीरियों के हितों की इतनी ही चिंता है तो फिर वह अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीर के लोगों का दमन क्यों कर रहा है? सवाल यह भी है कि तमाम अत्याचार के बाद भी गुलाम कश्मीर मैं वैसी कोई आवाज क्यों नहीं उठती, जैसी घाटी के अलगाववादी उठाते रहते हैं। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि यह एक सच है कि कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद को खाद_पानी देने का काम पाकिस्तान के साथ खुद घाटी के भी कुछ लोग कर रहे हैं और इनमें राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हैं। श्रीमती लक्ष्मी सिन्हा ने कहा कि नि: संदेह आतंकियों के साथ यह भी चुनौती बन गए हैं। यदि कश्मीर के बिगड़ते हालत संभालने है तो आतंकियों के साथ उन्हें शरण_सहयोग देने वालों को निर्मलता के साथ कुचलना ही होगा।