अधिवक्ता इंदर सिंह बिधूड़ी द्वारा अमर शहीद विजय सिंह पथिक स्मृति दिवस पर पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन
मनोज मणि नई दिल्ली

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले कई ऐसे वीर सपूतों के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को इतिहास के पन्नों पर यथोचित स्थान नहीं दिया गया। इन्हीं अमर वीर बलिदानी में विजय सिंह पथिक का नाम भी है । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उनके अमूल्य योगदान एवं त्याग बलिदान की अमर गाथा को जन जन तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है दिल्ली के तुगलकाबाद गांव निवासी प्रख्यात अधिवक्ता इंदर सिंह बिधूड़ी ने। उन्होंने विजय सिंह पथिक का स्मृति दिवस 29 मई को इंडियन सोसायटी आफ इंटरनेशनल लॉ (ISIL) दिल्ली में आयोजित किया । जिसमें कई राज्यों के न्यायाधीश, गुर्जर समाज के प्रख्यात अधिवक्ता एवं गणमान्य लोगों ने भाग लेकर पथिक जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया तथा उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। इसकी जानकारी देते हुए विद्वान अधिवक्ता इंदर सिंह बिधूड़ी ने बताया की इस अवसर पर गणमान्य लोगों में जम्मू कश्मीर से जस्टिस अकरम चौधरी, पटना से जस्टिस सुनील पवार, राजस्थान से जस्टिस वीरेंद्र सिराधना, एडीजे गाजियाबाद ईश्वर नागर, गुजरात से पवन सिंह भट्ट, एडीजे दिल्ली गजेंद्र नागर, एएजी चंडीगढ़ रमेश अंबावता, एएजी हरियाणा पवन झांडा, दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी, विधायक मदनलाल के अलावा दिल्ली हाईकोर्ट के वाइस प्रेसिडेंट जतन सिंह, मेंबर बार काउंसिल और चेयरमैन इनरोलमेंट कमेटी राजपाल कसाना, कड़कड़डूमा कोर्ट के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नागर, साकेत कोर्ट के पूर्व अध्यक्ष करनैल सिंह, साकेत कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव धीर सिंह, गुड़गांव बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अभय दायमा, साकेत बार एसोसिएशन के एग्जीक्यूटिव मेंबर सत्येंद्र सिंह, एडवोकेट हरिचंद, प्रदीप नागर, सुनील खत्री, सत्येंद्र डेढा के अलावा गुर्जर समाज के अन्य गणमान्य अधिवक्ता इस अवसर पर उपस्थित रहे। स्वतंत्रता सेनानी विजय सिंह पथिक का जन्म 27 फरवरी 1882 को बुलंदशहर के एक गुर्जर परिवार में हुआ था तथा उनकी मृत्यु 28 मई 1954 को हुआ । महान स्वतंत्रता सेनानी के साथ श्री पथिक एक शिक्षाविद एवं सफल पत्रकार के रूप में भी अपनी अमिट छाप सभी के दिलों पर छोड़ी है। गांधीजी के सत्याग्रह आंदोलन के पहले बिजनौर के किसानों की दुर्दशा को लेकर श्री पथिक ने आंदोलन शुरू किया था। 1915 में 1857 की क्रांति के तर्ज पर रासबिहारी बोस के नेतृत्व में गदर आंदोलन का राजस्थान में कमान स्वतंत्रता सेनानी पथिक के हाथों में दिया गया। विजय सिंह पथिक एक पत्रकार के रूप में गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा संपादित प्रताप, राजस्थान केसरी, नवीन राजस्थान आदि समाचार पत्रों में किसानों की दुर्दशा तथा किसानों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जागृत करने में अपनी लेखनी के माध्यम से अहम भूमिका निभाई। 1920 में पथिक जी के प्रयास से अजमेर राजस्थान सेवा संघ की स्थापना की गई। ऐसे महान विभूति के बलिदान को इतिहास के पन्नों पर उचित जगह नहीं मिलना उनके साथ अन्याय ही कहा जाएगा। इस अवसर पर उपस्थित न्यायाधीशों ने गुर्जर समाज के युवाओं का आह्वान किया की वह उच्च शिक्षा प्राप्त करें तथा विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर स्थापित होने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे । इसको लेकर जमीन जायदाद एवं मुआवजा से संबंधित मुकदमा में सिद्धहस्त अधिवक्ता इंदर सिंह बिधूड़ी ने जन जन तक उनके महान व्यक्तित्व को पहुंचाने का संकल्प लिया है और इसी के तहत आयोजित स्मृति दिवस में प्रबुद्ध जनों के समक्ष राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य योगदान की चर्चा की गई। अधिवक्ता इंदर सिंह बिधूड़ी चौधरी स्वरूप सिंह के पद चिन्हों पर चलते हुए गुर्जर समाज के सर्वांगीण विकास, गुर्जर समाज के युवाओं में शिक्षा के प्रति जागरूकता एवं इस समाज के होनहार बच्चों की सफलता पर उन्हें प्रोत्साहित एवं सम्मानित करने का काम काफी लंबे समय से करते आ रहे हैं। कोरोना काल के दौरान गरीबों एवं जरूरतमंदों को हर तरह की सहायता अधिवक्ता इंदर सिंह बिधूड़ी ने दिया । गुर्जर समाज के हर सुख दुख में वह हमेशा बराबर के भागीदार रहे हैं तथा जब भी जिस तरह की जरूरत समाज को पड़ती है वह हमेशा तन मन धन से उनके साथ खड़े रहते हैं। तुगलकाबाद गांव दिल्ली में किसी पहचान की मोहताज नहीं है, क्योंकि दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश बिधूड़ी भी तुगलकाबाद गांव के ही निवासी हैं ।