स्वतंत्र सिंह भुल्लर नई दिल्ली
नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के दिल्ली अध्यक्ष और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने आज कहा कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिरसा के भाजपा में शामिल होने को जायज ठहराया था। और कुछ विरोधियों को दोषी ठहराने पे सख्त नोटिस लिया उन्होंने कहा कि जत्थेदार अकाल तख्त को केवल शिरोमणि अकाली दल बादल की भाषा नहीं बोलनी चाहिए और "उनकी मास्टर आवाज" बनने की कोशिश नही करनी चाहिए और जत्थेदार की ऊंची मूर्ति और पदवी को ग्रहण नहीं लगने देना चाहिए और यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि सिरसा को भाजपा में भेजने के लिए कौन लोग जिम्मेदार थे।
यहां जारी एक बयान में श्री परमजीत सिंह सरना ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब से निष्पक्ष और पंथिक आवाजें आनी चाहिए लेकिन जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह न केवल गुरु के क्षेत्र में एक भ्रष्ट और लुटेरे का समर्थन ही नहीं किया हैं बल्कि ननकाना साहिब पालकी भेजने के नाम पे संगत से करोड़ो रुपये की ठगी और कई किलो सोना किनारे करने वाले सिरसा का समर्थन किया जा रहा है जत्थेदार ने संगत से जुटाई गई माया का ब्योरा देने के लिए सिरसा को दिल्ली कमेटी के दफ्तर के बाहर और दिल्ली के अन्य सिख आबादी वाले इलाकों में विस्थार जानकारी के बोर्ड तैनात करने का आदेश दिया था लेकिन इन आदेशों पर आज तक अमल नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि यह फैसला जनवरी 2020 में सर्वसम्मति से लिया गया था जब दिल्ली कमेटी के तत्कालीन अध्यक्षों और पूर्व अध्यक्षों की बैठक बुलाई गई थी कि दिल्ली कमेटी के खातों की पिछले 20 साल की जांच कमेटी बनाकर एक हफ्ते में की जाएगी और कमेटी दो महीने में अपनी रिपोर्ट देगी ,परमजीत सिंह सरना ने फोन पर जत्थेदार से कई बार गुहार लगाई है लेकिन भ्रष्ट नेताओं को बचाया जा रहा है। अगर जत्थेदार ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो शायद दिल्ली कमेटी आज ऐसी स्थिति में नहीं होती।
जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि अतीत में जब विदेशी शासक भारत आए तो उन्होंने कहा कि या तो धर्म चुनें या कर्म चुनें और जब मुगल भारत आए तो उन्होंने कहा कि या तो धर्म चुनें या जीवन चुनें। धर्म को चुना और कई लोगों ने कर्म और जीवन को चुना। इसी तरह, जत्थेदार ने कहा कि उन्हें मनजिंदर सिंह सिरसा का फोन आया और कहा कि भाजपा नेता उन्हें या तो भाजपा में शामिल होने या जेल जाने के लिए कह रहे हैं। सिरसे ने भी जेल जाने के बजाय भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। श्री परमजीत सिंह सरना ने कहा कि अगर सिरसा वास्तव में गुरु का सिख है और उसने कुछ भी गलत नहीं किया है तो वह जेल जाने से क्यों डरता है? क्या यही है आज के सिख नेताओं की भूमिका? क्या वे उन बुजुर्गों के बलिदान को भूल गए हैं जिन्होंने धर्म के लिए खुद का बलिदान दिया? बब्बर अकालिया की कुर्बानियां जिन्होंने कई साल जेल में गुजारे लेकिन छोटे-मोटे मामलों में भी उन्हों ने जमानत नहीं ली
उन्होंने कहा कि सिरसा ने गुरु के लड़ को छोड़ दिया था या सिरसा को गुरु पर विश्वास नहीं था या उनके पाप कांप रहे थे जिससे उन्हें जेल जाने का डर था जत्थेदार जी को संगत को यह भी बताना चाहिए कि आज शिरोमणि सिख संगठनों के अध्यक्ष जेलों के डर से अपने रूतबे को भूल गए हैं? जत्थेदार का यह बयान कि कुछ स्वयंभू सिख नेता भी ऐसी जमीन बनाने के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन जत्थेदार से कहना चाहते हैं कि वह गूंगा ना हो और स्पष्ट रूप से यह बताए कि वह नेता कौन हैं और साथ ही यह भी स्पष्ट कर दें कि जो नेता गुरु के क्षेत्र को लूट रहा है, उसे खुली छूट दी जानी चाहिए ?
अकाली दल बादल ने भी ऐसा ही बयान दिया था और जत्थेदार इसे "हिज मास्टर वॉयस" के रूप में दोहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जत्थेदार अकाल तख्त से हमने अपील की कि गुरु के भय में जी रहे सिखों को किसी का भय नहीं है और लुटेरों और भ्रष्ट नेताओं का समर्थन करने के लिए उनका उपहास नहीं किया जाना चाहिए। आज पूरी दुनिया में उनके इस बयान की खिल्ली उड़ाई जा रही है जिससे सिख समुदाय को नमोशी झेलनी पड़ रही है ।