नागु वर्मा उज्जैन
उज्जैन भोपाल मैं अर्चना कनेरिया द्वारा बताया गया की बातें तो हम बहुत करते है नारी के सम्मान की क्या सच में हमारे समाज में नारी का सम्मान होता है? अगर इसका जवाब हां है तो घरेलू हिंसा, बलात्कार, दहेज प्रथा, महिला उत्पीड़न जैसी घटनाएं किसका परिणाम है हम नारी का सम्मान सिर्फ भाषणों और किताबों में करते हैं, यथार्थ से कोसो दूर है आज हम 21वीं सदी में है फिर भी हमारी सोच आज भी वही है जिसमें महिलाओं को नीची नजर से देखा जाता है शिक्षित समाज होते हुए भी महिलाओं की स्थिति वही है परंपराओं और रीति-रिवाजों की बेड़ियों में जकड़ी हुई जो कहीं ना कहीं महिलाओं के पिछड़ेपन को प्रदर्शित करती है और पिछड़ेपन का कारण भी है आज भी हमारे देश में महिलाओं को सोच की आजादी नहीं है हम बातें तो बहुत करते हैं पर हमारा समाज कहीं ना कहीं पुरुष प्रधान ही है और निर्णायक की भूमिका में सदैव पुरुष ही होते हैं, वह चाहे पिता हो, भाई हो, पति हो या बेटा हो सदैव निर्णायक की भूमिका में पुरुष ही होते है महिलाओं का कोई स्थान नहीं है अगर हम एक सुव्यवस्थित समाज की स्थापना करना चाहते हैं या एक सुंदर समाज और अच्छा सामाजिक वातावरण आने वाली पीढ़ियों को देना चाहते हैं तो हमें महिलाओं को वह स्थान देना होगा जिसकी वह हकदार है और ये स्थान किताबी नहीं होगा हम सच में उनको उचित सम्मान और उत्तरदायित्व का अधिकार दे तभी हम बेहतर समाज का निर्माण कर पाएंगे नारी का सदैव सम्मान होना चाहिए संस्कृत के एक श्लोक में कहा गया है कि- यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमंते देवता: अर्थात जहां स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं संस्कृत के एक और श्लोक में कहा गया है कि - यत्र जामय: शोचंति तत कुलम आशु विनश्यति अर्थात जिस कुल में स्त्रियां कष्ट भोगती हैं वह कुल शीघ्र नष्ट हो जाता है इसलिए हमें सदा नारी का सम्मान करना चाहिए चाहे वह बेटी हो, बहन हो,पत्नी हो, या बहू हो हर रूप में हमें नारी का सम्मान करना चाहिए