विश्व पुस्तक मेला गांधी के विचारों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कारगर साबित हुआ :- लेफ्टिनेंट कर्नल युवराज मलिक


विश्व पुस्तक मेला एशिया का सबसे बड़ा पुस्तक मेला होता है.इसका आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) द्वारा किया जाता है. यह पुस्तक मेला 4 जनवरी से 12 जनवरी तक दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किया गया. मेले के आखिरी दिन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल युवराज मलिक से दिल्ली और दिल्ली न्यूज़ के संवाददाता महेंद्र कुमार ने मेले से जुड़ी गतिविधियों को लेकर चर्चा की है.साथ ही निदेशक महोदय से जानने का प्रयास किया है कि आने वाले समय में एनबीटी अपने पाठकों और लेखकों के विकास के लिए क्या कदम उठाने वाला है. लेफ्टिनेंट कर्नल युवराज मलिक को नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) का निदेशक नियुक्त किया गया है। मलिक इससे पहले  रक्षा मंत्रालय, केन्द्रीय गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर में राजभवन, अफ्रीका में संयुक्त राष्ट्र के मिशन और जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, पंजाब तथा राजस्थान में कई प्रशासनिक तथा अभियानों से जुड़े मिशन पर रह चुके हैं। विभिन्न सरकारी एजेंसियों में वह 15 साल तक प्रशासनिक कार्य कर चुके हैं। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास में पहली बार  किसी सैन्य अधिकारी को संस्थान का प्रमुख बनाया गया है. लेफ्टिनेंट कर्नल युवराज मलिक के साथ की गई चर्चा के प्रमुख अंश को हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं.


1.राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेले का अनुभव कैसा रहा?


विश्व पुस्तक मेला राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा 4 जनवरी से 12 जनवरी तक दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित किया गया. इस मेले में बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग खराब मौसम में भी पुस्तकों का आनंद लेने के लिए भारी संख्या में मेले में शिरकत की. भारी संख्या में लोगों ने पुस्तकों को खरीदा इससे यह पता चलता है कि देश में पुस्तकों से लगाव  रखने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस मेले को आयोजित करवाने के लिए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने पूरी तैयारियां की 600 से अधिक प्रकाशकों  ने मेले में शिरकत की. मेले में हमने हर वर्ग के लोगों का ध्यान रखा बच्चों के लिए हमने बाल मंडप का निर्माण किया. महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए थीम पवेलियन का निर्माण किया गया जिसमें हमने गांधी से जुड़ी  फिल्मों अथवा पुस्तकों को लोगों को मुहैया करवाया. पुस्तक मेले के दौरान भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लगातार आयोजन किया गया. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास अगले साल इससे भी बेहतर इंतजामों के साथ मेले का आयोजन करेगा.


2.गांधी जी के विचारों पर आधारित थीम पवेलियन को लेकरआपको क्या कहना है?


आज मेले का आखरी दिन है. इन आखिरी घंटों में सबसे ज्यादा भीड़ आपको थीम पवेलियन में देखने को भी मिल रही होगी. गांधी जी के जीवन से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री लोगों को बहुत पसंद आ रही है. 500 से ज्यादा पुस्तके गांधीजी के जीवन पर आधारित हमने लोगों को मुहैया करवाने की कोशिश की है. इस मेले में सबसे ज्यादा लोकप्रिय थीम पवेलियन रहा है.


3.विदेशी प्रकाशकों में बढ़ोतरी के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?


इस पुस्तक मेले में 20 से अधिक देशों के प्रकाशकों ने भाग लिया है. मेले में कुछ विदेशी प्रकाशकों के स्टॉल बहुत भव्य एवं बड़े रहे हैं. प्रगति मैदान में नया कन्वेंशन सेंटर बनाया जा रहा है.जो अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगा.अगली बार पुस्तक मेला में वही आयोजित होगा. वह मैदान इस मैदान से बड़ा होगा और हम प्रकाशकों को अधिक स्पेस मुहैया करवाने में समर्थ होंगे. अगली बार हम पुस्तक मेले की भव्यता को और बढ़ाने का प्रयास करेंगे. पाठकों को कोई  अव्यवस्था ना  हो इसके लिए और इंतजाम किए जाएंगे. हम प्रयास करेंगे पाठकों और लेखकों के बीच संवाद बढ़े. विदेशी प्रकाशकों को भी हम बड़ी संख्या में आमंत्रित करने का प्रयास करेंगे.


4.इतने बड़े पुस्तक मेले को आयोजित करने के लिए कौन सी चुनौतियां आपके सामने रही?


मुझे लगता है कि हर  चुनौती अवसरों को लेकर आती है. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की पूरी टीम ने मिलकर इस मेले को सफल बनाया है. सभी संस्थाओं से हमें भरपूर सहयोग मिला पुलिस, मीडिया, गैर सरकारी संगठन सभी ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाया है. बिना किसी अप्रिय घटना के सफल आयोजन हुआ है.इसके लिए मैं सभी लोगों का और संस्थाओं का धन्यवाद करता हूं. विश्व पुस्तक मेला एशिया का सबसे बड़ा मेला होता है.यह एक उदाहरण है कि कैसे समन्वय बनाकर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए.


5.राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से कुछ प्रकाशक खफा दिखे. उन्होंने कहा कि आपने उन्हें उचित स्पेस उपलब्ध नहीं करवाया है?


उनकी बात ठीक है. इस बार प्रगति मैदान में बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है.इसलिए मेले को आयोजित करने के लिए हमारे पास स्थान सीमित है. इसलिए प्रकाशकों को अपने स्टॉल लगाने के लिए कम स्थान मिल पाया है. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के सामने यह भी बहुत बड़ी चुनौती रही कि इतनी कम स्पेस में प्रकाशकों को स्थान उपलब्ध करवाया जाए. आप देख रहे हैं कि हमारा खुद का कंट्रोल रूम कितना छोटा है.बहुत कम जगह में हम लोग काम कर रहे हैं. अगली बार इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे और किसी को दिक्कत ना हो उसका पूरा प्रयास करेंगे.



6.राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की जिम्मेवारी आपको हाल ही में मिली है. एनबीटी को आगे बढ़ाने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे? 


राष्ट्रीय पुस्तक न्यास मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत कार्य करती है. हमारा मुख्य कार्य किताबों का प्रकाशन और पुस्तकों के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए माहौल बनाना है. हम बहुत कम कीमत पर पुस्तकों का प्रकाशन करते हैं. लेखकों और पाठकों के बीच संबंध  बनाने के लिए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास एक कड़ी का काम करता है. हम लेखकों  और अधिक सुविधाएं मुहैया करवाएंगे. हम चिल्ड्रंस ऑथर्स को अगली बार पुस्तक मेले में लाने का प्रयास करेंगे. बच्चों द्वारा लिखी गई पुस्तकों को भी हम मंच प्रदान करेंगे. अगली बार   राष्ट्रीय पुस्तक न्यास लेखकों को अच्छे लेखन के लिए अवार्ड प्रदान करेगा.


7.राष्ट्रीय पुस्तक न्यास  पुस्तकों का डिजिटलीकरण करने के लिए क्या कदम उठा रहा है?


राष्ट्रीय पुस्तक न्यास हजारों पुस्तक को 50 से अधिक भाषाओं में छापते हैं. हर क्षेत्र के लोगों की जरूरतों के अनुसार उनको पुस्तकें  उपलब्ध करवाना. लोग अपनी मातृभाषा और मात्र बोलियों में पुस्तकों को पढ़े इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं. क्योंकि यह दौर तकनीकी का है.और डिमांड है कि हम ई  बुक लेकर आएं. इसको लेकर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास तैयारियां कर रहा हैं.बहुत जल्द हमारी पुस्तके ई बुक्स में उपलब्ध होगी. बहुत कम मूल्य में लोगों को यह पुस्तकें उपलब्ध होगी.