मच्छरों का खात्मा करेगी मछली

 महेंद्र कुमार दिल्ली और दिल्ली 


मच्छरों का खात्मा करेगी मछली



इन दिनों सर्दी का दौर चल रहा है और मच्छरों के बारे में बात करें तो सर्दी में मच्छरों की संख्या बहुत कम हो जाती है.जैसे ही गर्मी के दिन आते हैं. मानसून  के दौरान मच्छरों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि होती है. और मच्छरों से होने वाली बीमारियां भी बढ़ती है.जैसे  चिकनगुनिया, डेंगू, इसके अलावा  कई प्रकार की  बीमारियों में बढ़ोतरी होती है. डेंगू से होने वाली बीमारियों के कारण दिल्ली के अस्पताल लोगों के इलाज के लिए कम पड़  जाते हैं. कई बार दिल्ली अथवा देश में ऐसी स्थिति बन जाती है कि मरीज अधिक होते हैं और अस्पतालों  में बेड की संख्या कम हो जाती है. 
  
 दिल्ली में इस साल  डेंगू के मामलों की  संख्या 1700 से अधिक हो गई है.  दिल्ली में 30 नवंबर तक मलेरिया के मामलों की संख्या 685 तक पहुंच गयी.  18 नवंबर तक  दिल्ली  में डेंगू के कुल 1474 मामले दर्ज हुए. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार पूरे वर्ष में अक्टूबर में सबसे अधिक डेंगू के 787 मामले और मलेरिया के 249 मामले दर्ज किए गए. यह आंकड़े कहीं ना कहीं चौका देने वाले हैं और हमारे सामने एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर रहे हैं.


 दक्षिणी दिल्ली  नगर निगम ने मच्छरों की वजह से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है. दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव के वार्ड 61 में दक्षिण दिल्ली नगर निगम के माध्यम से हैचरी का निर्माण किया गया है. इस हैचरी को बायोलॉजिकल कंट्रोल के नाम से भी जाना जाता है. हैचरी में मच्छरों के लारवा  को खाने वाली मछली गम्बूजिया को डाला गया है.गंबूसिया  मछली के बारे में कहा जाता  है. यह मछली एक महीने में 50 से 200 अंडे दे सकती है. इसी कारण इन  मछलियों की तादाद लगातार बढ़ती रहती है. अथवा यह मछली एक दिन में 100 से 300 मच्छरों के लारवा खा सकती है. इस योजना के उद्घाटन के अवसर पर डॉ पृथ्वीराज  कोरंगा  प्रसिद्ध कीट विज्ञानी ने कहा कि  गम्बूजिया मछली मच्छरों के लारवा को खाती हैं. मच्छरों के लारवा को खत्म करने के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम केमिकल अथवा दवाइयों का प्रयोग करती है. जिसके कारण उन दवाइयों का नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिला है. परंतु यह प्रक्रिया पर्यावरण के हित में है इसके माध्यम से मच्छरों को फैलने से रोका जा सकता है. इस अवसर पर निगम पार्षद राधिका अबरोल ने कहा कि हमारे क्षेत्र में यह पहला प्रयास है. हम सभी की जिम्मेदारी है कि इस  पहल है को  सकारात्मक रूप  रूप में ले. गम्बूजिया
मछली के विषय में लोगों को जानकारी नहीं है. अब हम लोग यहां से लोगों को मछली उपलब्ध करवाएंगे जिसको लोग अपने घरों में स्थित पानी के स्रोतों में डालेंगे. इस अवसर पर गौरव बाजपाई  मलेरिया  ऑफिसर  ने कहा कि यह एक  सकारात्मक पहल है. मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता रहा है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. परंतु  अब लोग मच्छरों पर रोकथाम के लिए  गम्बूजिया मछली का प्रयोग करेंगे.  गौरव वाजपेई ने आगे कहा कि इस कार्य को करने के लिए उन्हें प्रेरणा डॉक्टर कैप्टन एनआर तुली स्वास्थ्य अधिकारी साउथ जोन के द्वारा मिली. दिनेश शर्मा आरडब्ल्यूए की नेहा पूरी महासचिव, आनंद गुप्ता आरडब्ल्यूए अध्यक्ष ग्रीन पार्क एक्सटेंशन कर्नल अशोक आदि लोग मौजूद रहे.


 मच्छरों का लार्वा गम्बूजिया मछली का भोजन



कहते हैं ना कि एक खराब मछली पूरे तालाब को गंदा कर सकती है, लेकिन आज हम इसके ठीक उलट हम आपको एक ऐसी मछली के बारे में बता रहे हैं. जो लोगों को डेंगू के डंक से बचा सकती है. इस मछली का नाम गम्बूजिया है और ये मछली सिर्फ डेंगू ही नहीं बल्कि आपको मलेरिया की चपेट में आने से भी बचा सकती है.दरअसल ये एक ऐसी मछली है जो डेंगू-मलेरिया फैलाने वाले जानलेवा मच्छरों के लार्वा को खाकर दिल्ली को मच्छरों के प्रकोप से बचा सकती है. साउथ  एमसीडी का स्वास्थ्य विभाग डेंगू-मलेरिया के मच्छरों से लड़ने के लिए ईको-फ्रेंडली तरीकों को बढ़ावा दे रहा है.


लिहाज़ा गम्बूजिया मछली को बढ़ावा देकर साउथ  एमसीडी मच्छरों पर काबू पाने की कोशिश में है. पनपने वाले मच्छरों पर रोक लगाने के लिए  पानी में  गम्बूजिया मछली छोड़ने की योजना   है. डेंगू और मलेरिया के लार्वा मिलते ही ये मछलियां तेजी से उन्हें खाना शुरू कर देती हैं, क्योंकि जितने तेज गति से इन बीमारियों का लार्वा बढ़ता है, उतने ही तेजी से ये मछलियां भी.
 डेंगू फैलाने वाले मादा ऐडीज मच्छर और मलेरिया फैलाने वाले मादा एनाफलीज मच्छरों को फैलने से रोकने के लिए तालाबों के पानी में गम्बूजिया मछली छोड़ी जाएंगी. पानी पर अंडे देने वाले मच्छरों के लार्वा को ही मच्छर पैदा होने से पहले ही यह मछली चट कर जाएगी और मच्छरों की बढ़ती तादाद पर कुछ हद तक रोक लगेगी. आपको बता दें एक  गम्बूजिया मछली 24 घंटे में 100 से 300 लार्वा खा सकती है.  गम्बूसिया मछली को ग्रो होने में 3 से 6 महीने का वक़्त लगता है. एक मछली एक महीने में करीब 50 से 200 अंडे दे सकती है. एक मछली करीब 4 से 5 साल जिंदा रह सकती है. फिलहाल दिल्ली के कुछ तालाबों और पार्कों में वाटर बॉडीज बनाकर इन मछलियों को उनमें छोड़ा जाएगा.  
एक  गम्बूजिया  मछली रोज 100 से 300 लार्वा तक खा सकती है, इसलिए अपने लगभग पांच साल के जीवनकाल में यह लाखों लार्वा का खात्मा कर देती है। इसकी छोटी साइज (4.5cm-6.8cm) के कारण इसे एक्वेरियम में भी पाला जा सकता है. गम्बूजिया  मलेरिया को खत्म करने में बड़ी मदद कर सकती है। सरकार का लक्ष्य है कि 2020 तक दिल्ली से और 2030 तक भारत से मलेरिया को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए। हलांकि यह डेंगू को खत्म करने में उतना कारगर नहीं है क्योंकि डेंगू का मच्छर छोटी, साफ जगहों पर रहना पसंद करता है जैसे कूलर, एसी, बड़े पानी के बर्तन जहां  गम्बूजिया को पालना व्यावहारिक नहीं है।


साउथ एमसीडी क्षेत्र में 32 बायोलॉजिकल कंट्रोल सिस्टम बनाए गए है.जिसमें इन मछलियों को रखा जाता है. 33 वा बायोलॉजिकल कंट्रोल सिस्टम सफदरजंग एनक्लेव  के वार्ड 61 में लगाया गया है.