एशियन सुनामी डायलॉग का आयोजन

एशियन सुनामी डायलॉग का आयोजन


 25 दिसंबर 2004 को सुनामी में मारे गए 2.5 लाख लोग.



महेंद्र कुमार नई दिल्ली 


दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल ऑडिटोरियम में 2004 में आई भीषण सुनामी की 15वीं बरसी को मनाया गया. इस कार्यक्रम में सुनामी  के दौरान होने वाली चुनौतियों और सुनामी में जानमाल के खतरे को कम करने में युवाओं के योगदान पर चर्चा की गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता केएम सिंह आईपीएस पूर्व निर्देशक सीआईएसएफ द्वारा कि गई.
केएम सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 1999 में उड़ीसा में साइक्लोन की वजह से लोगों की मौत हुई. 2000 में आए गुजरात के भूकंप के बाद हमने अपने आप को मजबूत करने की कोशिश की. वही प्रोफेसर संतोष कुमार ने कहा कि 2004 की सुनामी के बाद सुनामी जैसी घटनाओं को कम करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए गए हैं.हम देखते हैं कि भारत में छोटी मोटी घटनाओं की वजह से भी बहुत जान माल का नुकसान होता है. ऐसी घटनाएं लगातार देश में होती रहती है.यह तमाम प्राकृतिक घटनाएं हैं जो कभी बताकर  नहीं होती है.परंतु यह जरूर  है कि ऐसी घटनाओं के आने का पता हमें कुछ समय पहले लग जाता है. हमें तैयार रहने की आवश्यकता है कि इस प्रकार की घटनाओं से जानमाल की हानि को कम कर सके. वहीं वरिष्ठ पत्रकार राखी बख्शी ने कहा कि 2004 में जब यह सुनामी आई तो वह कोलकाता से अंडमान निकोबार सुनामी को कवर करने गई.  उन्होंने बताया कि उस दरमियान वह दूरदर्शन में काम किया करती थी. राखी बख्शी ने कहा कि इस प्रकार की  घटनाओं में राहत कार्य करने वाली संस्थाओं के बीच समन्वय होना जरूरी है.लोकल लोगों को राहत कार्य में लगाना चाहिए उन्होंने बताया कि किस तरीके से सरकार ने वहां की महिलाओं की मदद करने के लिए साड़ियों के ट्रक भेजें परंतु अंडमान निकोबार में महिलाएं साड़ी नहीं पहनती है.इस प्रकार की घटनाओं में सामाजिक रेडियो स्टेशन बहुत कारगर साबित होते हैं.रेडियो स्टेशनों के माध्यम से क्षेत्रीय भाषाओं में लोगों को समझाना आसान हो जाता है. साथ ही इस प्रकार की घटनाओं में महिलाओं के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है.हमें यह प्रयास करना है कि हम दिव्यांग लोगों को बचाने के लिए एक मजबूत प्रणाली का निर्माण करें. वही कुंवर विक्रम सिंह ने कहा कि भारत में लगभग 9 लाख सिक्योरिटी गार्ड  कार्यरत है. हर साल 60000 से ज्यादा फौजी रिटायर होते हैं. उन्होंने बताया लगभग दिल्ली में पुलिस से अधिक संख्या में सिक्योरिटी गार्ड तैनात है. सरकार को इनको प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि आपदा की घड़ी में लोगों को बचाया जा सके..  कार्यक्रम के आयोजक ओंकारेश्वर पांडेय ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले  जानमाल को कम करने के लिए सभी लोगों को आगे आना होगा.इसके लिए विशेष प्रशिक्षण अथवा जानकारी की आवश्यकता है .इस कार्यक्रम में आपदा सुरक्षा से जुड़े कई अतिथियों ने शिरकत की विक्रम महाजन निर्देशक स्पेयर इंडिया, के आर चारी वरिष्ठ पत्रकार, ज्ञानेंद्र रावत वरिष्ठ पत्रकार, कैप्टन श्याम कुमार, कमांडर हरदीप सिंह चौधरी, कैप्टन मोहिंद्र कौर, पीकेडी नामवीर, साकेत बृजेंद्र . इस कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ राहुल सिंह ने किया.15 साल पहले, 25 दिसंबर 2004, को लोग देर रात तक क्रिसमस का जश्न मना कर लोग चैन की नींद सो रहे थे। अगले दिन 26 दिसंबर को रविवार का अवकाश होने के कारण क्रिसमस का जश्न काफी धूमधाम से देर रात तक चला था। वीकेंड पर क्रिसमस और फिर नए साल का जश्न मनाने के लिए काफी संख्या में टूरिस्ट भारतीय समुद्री किनारों पर जुटे थे। ज्यादातर जगहों पर रविवार को भी क्रिसमस का धमाकेदार जश्न होना था, लेकिन इससे ठीक पहले भारतीय समयानुसार सुबह 6:28 बजे खूबसूरत समुद्री किनारों ने विकराल रूप धारण कर लिया।


उस वक्त ज्यादातर लोग अपने होटलों व घरों में सो रहे थे। जो लोग जगे थे, वो भी समुद्र में उठ रही 30 मीटर (100 फीट) ऊंची लहरों को देखकर ठिठक गए। इससे पहले की लोग कुछ समझ पाते सुनामी की विशाल लहरों ने भारत समेत हिंद महासागर किनारे के 14 देशों में कई किलोमीटर दूर तक तबाही फैला दी थी। सीधे शब्दों में समझा जाए तो तटीय इलाकों में समुद्र कई किलोमीटर अंदर तक पांव पसार चुका था। कुछ पल में ही बड़े-बड़े पुल, घर, इमारतें, गाड़ियां, लोग, जानवर और पेड़ सब समुंद्र की इन लहरों में तिनकों की तरह तैरने लगे थे। इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में लगभग 9.0 की तीव्रता से भूकंप के कई झटके लगने से हिंद महासागर में उठी सुनामी से दुनिया भर में 2.5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसमें से अकेले भारत में 16,279 लोग मारे गए या लापता हो गए थे। आपदा इतनी बड़ी थी कि मृतकों के शव कई दिनों तक बरामद किए जाते रहे। सुनामी प्रभावित एरिया के लोग आज भी उस हादसे को याद कर कांप उठते हैं। तबसे 26 दिसंबर की इस तारीख को प्राकृतिक आपदा सुनामी के लिए भी जाना जाता है। इस प्राकृतिक आपदा ने पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम हमारे लोगों की जान कैसे बचाएं. इस कार्यक्रम में इन तमाम पहलुओं पर बात हुई.