-सरकार व प्रशासन सुस्त
सिमरन कनौजिया, नई दिल्ली-
हर वर्ष कडाके की ठंड होने से न जाने कितने फुटपाथ पर सोने वाले लोगों की मौत हो जाती है। लेकिन हर बार उनकी मौत सिर्फ अखबारों की सुर्खियों तक ही सीमित रह जाती है। लेकिन प्रषासन व सरकार द्वारा ठंड की वजह से मरने वालों की तादात को कम करने के लिए कभी कोई उपयुक्त कदम नहीं उठाया जाता।
इस बार भी नवंबर माह लगभग आधे में पहुँच चुका है। दिसंबर में कडाके की ठंड आरंभ हो जाएगी। फिर जूंझेगा अपने अस्तित्व को जिंदा रखने का संघर्ष। हम सबको पता है जिंदगी जीना आसान नहीं होता और ऊपर से जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को और भी मुश्किल हो जाएगी ।
आती-जाती गाड़ियों से कभी भी कोई न कोई हादसा होने का खतरा। दिन भर आदमी चाहे जहां भी रह ले लेकिन शाम होते ही
सिर के नीचे एक छत हो । सर्दी और बरसात के मौसम घर का होना अनिवार्य है। लेकिन सैकड़ों लोग घर के अभाव में खुले आसमान के नीचे फुटपाथ पर अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं। दिसंबर आते ही लोग अपने लिए तरह-तरह की व्यवस्था में लग जाते हैं, लेकिन वे लोग क्या करें जिनके पास सर छुपाने के लिए एक छत तक नहीं है। उनके नसीब में फुटपाथ पर ही गुजारनी पड रही है। ऐसे लोगों की जिंदगी न जाने कब समाप्त हो जाए, जिसका कारण सरकार व प्रशासन होंगे, जो उचित व्यवस्था न करके असमय उन्हें मौत के आगोश में सोने को मजबूर करते है। यदि अब भी सरकार व प्रशासन न जागे तो न जाने कितने मासूमों को मौत हमेशा के लिए सुला दे।